સોમવાર, 13 મે, 2013

पथ्थर में से भगवान बनते है

पथ्थर में से भगवान बनते है,
मेरे लिए ही सूरज चांद चलते है,
आसमानमे बादल है बिजलिया भी,
मेरी मरजी से यहाँ फुल खिलते है.

आसमान को भी मैं जुका शकता हु,
किस्मतकी लकीरों को मैं तोड़ शकता हु,
मेरे नाम से दुश्मन भी कांपते है,
सर उठाके हमारे दोस्त चलते है.

मैं रुक नहीं शकता, मैं टुट नहीं शकता,
मुजे तोड़नेवाले आखिरमे टुट जाते है,
सब लोग अब मुजको सलाम करते है,
दुश्मन भी मेरा रास्ता छोड़ देते है.

आंधी और तूफ़ान भी अब दुर रेहते है,
अन्याय अत्याचार को जब देखता हु मैं,
नजरो से आग के शोले निकलते है,
'आनंद' इंसानियत के सायेमे चलते है.