શુક્રવાર, 24 મે, 2013

एक लडकी देखी है मैंने

खिले हुए गुलाब जैसी,
जलते हुए शबाब जैसी,
एक लडकी देखी है मैंने
कोई नशीली शराब जैसी.

जलते हुए चिराग जैसी,
अरमानो की आग जैसी,
एक लडकी देखी है मैंने
चांदनी हो बेदाग़ जैसी.

दिलमे कोई उमंग जैसी,
प्यार के खिलते रंग जैसी,
एक लडकी देखी है मैंने
मखमली कोई अंग जैसी.

खिले हुए कमल जैसी,
'आनंद' की गज़ल जैसी,
एक लडकी देखी है मैंने
एक लेहराते आँचल जैसी.