ગુરુવાર, 16 મે, 2013

मैं डर डर के क्यों रहू ?

एक पतिको सपनेमे उसकी पत्नी आती है तो वो ये बात करता है...

मैं डर डर के क्यों रहू ?
मैं मर मर के क्यों रहू ?
तु बीवी होगी अपने घरकी
मैं सपने मे क्यों डरु ?

सारे कपडे धो दिये है,
और इस्त्री भी कर दी है,
ख़्वाब में तेरी सेवा करू,
ये तो बहोत बेदर्दी है.

टिंकु की पढ़ाई के लिए ही,
मैं रात-रातभर जागता हु,
पुरी हो गई एक्जाम सारी तो,
अब मैं छोटा वेकेशन मांगता हु.

शादी से पेहले हर लडकी
ऐश्वर्या केट लगती है,
अब हाल ये हो गया है मेरा,
मैं बोल तु बेट लगती है.

सपनेमे आकर के मुजको
तु क्यों सताया करती है ?
सुन्दर लडकी साथ हो तब
क्यों टिंकु के पापा केहती है ?

सुबह शाम मैं तेरा गुलाम,
ये बात बताना रेहने दो,
'आनंद' अब थोडी देर सही
मुजे सपनेमे ही जीने दो.